85. अलामाते कुबरा कयामत की बड़ी बड़ी निशानी

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  अलामाते कुबरा-


                    *अलामाते कुबरा*

*ⓩ अलामाते कुबरा यानि क़यामत की बड़ी बड़ी निशानियां,इसकी शुरुआत मुसलमानों की तमाम हुक़ूमतों के खातमे से होगी जैसा कि आक़ाये नेअमत इमाम इश्क़ो मुहब्बत आलाहज़रत अज़ीमुल बरक़त रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि*

*रिवायत* - 1837 हिजरी में शायद कोई इसलामी हुकूमत बाक़ी ना रहे और 1900 हिजरी में इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का ज़हूर हो

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,पेज 92

*ⓩ इसकी शुरुआत तो हो ही चुकी है आने वाला 400-450 साल मुसलमानो के ज़वाल का होगा,इस वक़्त पूरी दुनिया में 195 देश हैं जिनमे अकेले मुस्लिमों की 55 देश पर हुकूमत है,और जैसा हाल ईराक़ अफग़ानिस्तान फिलिस्तीन वगैरह का हो रहा है वही हाल हर इस्लामी मुमालिक का होना तय है मगर उसी तरह ये भी तय है कि भले ही हमारे हाथ से फिलहाल सारी हुकूमत छिन जाये मगर मुसलमान का वुजूद उस वक़्त तक बाकी रहेगा जब तक कि अल्लाह का हुक्म ना आ जाये यानि क़यामत,मगर उससे पहले दुनिया देखेगी कि फिर वही मज़लूम मुसलमान किस तरह हुकूमत करते हैं और इस बार किसी एक दो मुल्क पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया ही एक इस्लामी हुकूमत बनकर रह जायेगी,तो जो लोग इस मुगालते में जी रहे हैं कि कुछ मुसलमानों को इधर-उधर मारकर वो इस्लाम को खत्म कर देंगे तो ये उनकी सबसे बड़ी बेवकूफी है अब इन बेअक़्लों को कौन बताये कि जब फिरऔन नमरूद हामान और शद्दाद जो कि पूरी दुनिया पर हुकूमत करने वाले अपनी खुदाई का दावा करने वाले जाबिर बादशाह गुज़रे हैं जब वो इस्लाम को नहीं मिटा सकें तो अब किसी की क्या औकात बची कि इस्लाम का ज़र्रा बराबर भी बाल बाका कर सके,और रही बात मुसलमानों पर ज़ुल्म होने की तो ये हमारी ही बे-अमली है जिसकी हमें सज़ा मिल रही है और वो भी वक़्ती तौर पर वरना हमेशा की सज़ा के मुस्तहिक़ तो सिर्फ और सिर्फ काफिरो मुनाफिक़ ही हैं मुसलमान नहीं,खैर आगे बढ़ते हैं*

*रिवायत* - जब तमाम इस्लामी मुल्क खत्म हो जायेंगे यहां तक कि मुल्के शाम और अरब में भी नसारा की हुकूमत हो जायेगी तो मुसलमानो की हालत बहुत ही ज़्यादा खराब होगी,ऐसे में हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की तलाश शुरू होगी उनके ज़हूर की निशानी ये होगी कि उस साल रमज़ान शरीफ में ही सूरज और चांद दोनों को ग्रहण लगेगा,हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु उस वक़्त तवाफे काबा में लगे होंगे कि अचानक ग़ैब से निदा आयेगी कि *यही अल्लाह के खलीफा हैं जिनका नाम मेंहदी है इनकी बातें मानो और इताअत करो* तो लोग आपकी तरफ दौड़ेंगे और आपकी बैयत करेंगे,आपका नाम मुहम्मद लक़ब मेंहदी होगा आपके वालिद का नाम अब्दुल्लाह आपकी वालिदा का नाम आमिना आपकी शक्ल भी हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से बहुत मुशाबह होगी उस वक़्त आपकी उम्र 40 साल होगी और आप खातूने जन्नत हज़रत सय्यदना फ़ातिमातुज़्ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा की औलाद से होंगे

📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 5

*रिवायत* - आलाहज़रत अज़ीमुल बरकत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि आप मुजतहिद तो होंगे मगर इज्तिहाद की इजाज़त ना होगी,न वो हनफी होंगे ना शाफई ना मालिकी होंगे और ना हंबली बल्कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से तलक़ी जुम्ला एहकाम करेंगे और उस पर अमल फरमायेंगे,मगर जिस तरह आप नमाज़ पढ़ेंगे वो बिलकुल हनफी मज़हब की तरह ही होगी उस दिन खुल जायेगा कि अल्लाह जल्ला शानहु व रसूल सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम को सबसे ज़्यादा पसंद मज़हबे हनफी है,और उसके बाद अहले सुन्नत व जमाअत के बक़िया तीनो मज़हब मुनक़ता हो जायेंगे बस एक ही मज़हब बाक़ी रहेगा और वो बज़ाहिर मज़हबे हनफिया ही होगा

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 61

जारी रहेगा...........


*ⓩ Alaamate kubra yaani qayamat ki badi badi nishaniyan,iski shuruaat musalmano ki tamam hukumato ke khaatme se hogi jaisa ki aaqaye nemat imaam ishqo muhabbat sayyadna aalahazrat azimul barkat raziyallahu taala anhu farmate hain ki*

*RIWAYAT* - 1837 hijri me shayad koi islami hukumat baaki na rahe aur 1900 hijri me imaam menhdi raziyallahu taala anhu ka zahoor ho

📕 Almalfooz,hissa 1,safah 92

*ⓩ Iski shuruaat to ho hi chuki hai aane waala 400-450 saal musalmano ke zawaal ka hoga,is waqt poori duniya me 195 desh hain jinme akele muslimo ki 55 desh par hukumat hai,aur jaisa haal iraq afghanistan palestine wagairah ka ho raha hai wahi haal har islami mumalik ka hona
========================================================================*_अल्लाह हमे अपने महबूब हुज़ूर सल्लल्लाहों अलैहि वसल्लम के सदके इसी तरह इल्मे दीन सीखने समझने औरअमल करने की तौफ़िक अता करे।_*       🔷🕌🔷🕌🔷🕌🔷             /आमीन/
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