123. मसलके आला हज़रत फाजीले बरेलवी रजियल्लाहाे ताला अन्हाे की विलादत मूबारक हाे...


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👉          *मसलके आला हज़रत*           👈
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     *ﺑِﺴْــــــــــــــﻢ ِﷲِﺍﻟـــﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلْـــرَّﺣـــــــــــِﻴﻢ*

        *الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*
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तमाम सुन्नी बरेलवी मूसलमानाे काे *सैय्यदना सरकार आलाहज़रत अजीमूल बरकत मूजद्दिदे दिनाे मिल्लत इमाम इशकाे माेहब्बत इमाम अहमद रज़ा ख़ान* फाजीले बरेलवी रजियल्लाहाे ताला अन्हाे की विलादत मूबारक हाे...

आज  दिन सोमवार *25/06/2018* काे अपने अपने घरों में नजराे नियाज का एहतमाम करें,गरिबाे फकीराे मिस्किनाे मे खाना तकसिम करे,आैर अपनी नेक व जायज दुआ करें ईन्शा अल्लाह माैला ने चाहा ताे अपने महबूब बन्दे *आलाहज़रत* के सदकए व तूफैल में कबूल फरमायेगा...

               *आलाहज़रत एक नज़र में*

*आलाहज़रत* किसी एक ज़ात का नाम नहीं बल्कि वो एक ही वक़्त में एक नज़रिया था,अक़ीदा था,मसलक था,मशरब था,अंजुमन था,कांफ्रेंस था,लाइब्रेरी था,कुतुबखाना था,इल्मो हिक़मत का आफताब था,शरियतो तरीकत का माहताब था,मुफ़्ती था,मुदर्रिस था,मुफक्किर था,मुकर्रिर था,मुनाज़िर था,मुसन्निफ़ था,मुअल्लिफ था,मुफस्सिर था,मुहद्दिस था,माअकूली था,मनकूली था,अदीब था,खतीब था,फसीह था,बलीग था,फक़ीह था,वो ज़ाहिद नहीं बल्कि ज़ुहद था,वो आलिम नही बल्कि इल्म का मौजें मारता हुआ समंदर था 

*आलाहजरत* बरेली शरीफ में 10 शव्वाल 1272 हिजरी बामुताबिक 14 जून 1856 ईस्वी को एक इल्मी घराने में पैदा हुए

*आपका* शजरए नस्ब युं है, अहमद रज़ा खान इब्न नक़ी अली खान इब्न रज़ा अली खान इब्न काज़िम अली खान इब्न आज़म खान इब्न सआदत यार खान इब्न सईद उल्लाह खान 

*जिसने* बिस्मिल्लाह ख्वानी के दिन ही लाम अलिफ पर ऐतराज़ करके अपनी विलायत का ऐलान कर दिया 

*जिसने* 3.5 साल की उम्र में एक अरबी से उसकी ज़बान में फसीह गुफ़्तुगू की 

*जिसने* 6 साल की उम्र में एक बड़े मजमे में खड़े होकर 2 घंटे मुसलसल मीलादे मुबारक पढ़ा 

*जिसने* 8 साल की उम्र में 'हिदायतुन नहु' की अरबी शरह लिख डाली

*जिसने* 13 साल 10 महीने और 5 दिन में ही तमाम उलूम से फराग़त हासिल करके पहला फतवा दिया

*आलाहज़रत के उस्ताद गिरामी*

1. मक़तब के उस्ताद
2. आपके वालिद मौलाना नक़ी अली खान 
3. हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम क़ादिर बेग 
4. हज़रत मौलाना अब्दुल ओला साहब 
5. हज़रत सय्यद शाह अबुल हुसैन नूरी 
6. आपके पीरो मुर्शिद हज़रत सय्यदना शाह आले रसूल मारहरवी रज़ि अल्लाहो अन्हु 

*जिसने* 22 साल की उम्र में बैयत की तो खुद मुर्शिदे बरहक़ ने फखरिया इरशाद फरमाया कि आज तक मुझे इस बात की फिक़्र थी कि कल जब बरोज़े क़यामत मौला मुझसे पूछ्ता कि ऐ आले रसूल तू दुनिया से क्या लाया तो मैं अपना कौन सा अमल पेश करता पर जबसे मैंने अहमद रज़ा को बैयत किया तबसे मेरी ये फिक़्र दूर हो गयी अब अगर क़यामत में मौला मुझसे पूछेगा कि ऐ आले रसूल तू दुनिया से क्या लाया तो मैं अहमद रज़ा को पेश कर दूंगा

*तमाम* उल्माए इस्लाम ने जिसे मुजद्दिद तस्लीम किया और इमामुल अइम्मा का लक़ब दिया 

*जिसको* अरब के शेखुद दलायल हज़रत मौलाना सय्यद मुहम्मद सईद मग़रिबी अलैहिर्रहमा खुद *या सय्यदी* कहकर बुलाते थे

*जिसको* हरमैन शरीफैन के उल्माए किराम ने सुन्नियत की पहचान बताया और फरमाया कि हम हिंदुस्तान से आने वाले हाजिओ के सामने इमाम अहमद रज़ा का ज़िक़्र करके देखते हैं कि अगर उसके चेहरे पर खुशी के आसार आये तो सुन्नी समझते हैं और अगर चेहरे पर कदूरत झलकी तो समझ लेते हैं कि ये बिदअती गुमराह है 

*जिसको* तमाम उल्मा व औलियाए वक़्त ने ज़माने का हाकिम समझा और आलाहज़रत का लक़ब दिया और खुद वारिस पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने आलाहज़रत को अपनी मसनद पर बिठाया और आपको आलाहज़रत कहा 

*जिसने* दूसरे हज के दौरान अपनी माथे की आंखों से बेदारी के आलम में हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का दीदार किया 

*जिसने* 105 उलूम पर 1300 से ज़्यादा किताबें लिख डाली 

*अल्लाह का वो मुक़द्दस बन्दा 25 सफर 1340 हिजरी बा मुताबिक 28 अक्तूबर 1921 को अपने माबूदे हक़ीक़ी से जा मिला इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन*

📙 हयाते आलाहज़रत
📕 तजल्लियाते मुस्तफा रज़ा 
📙 सवानेह आलाहज़रत *✬✬✬✬✬✬✬✬✬✬✬✬✬✬✬✬✬✬*



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