90. कुछ गैरों ने पूंछा आलाहज़रत को इतना क्यों मानते हो

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                           *आला हज़रत*

कुछ  गैरों ने पूंछा आलाहज़रत को इतना क्यों मानते हो -?


तो कहा :  कान खोल के सुनो ________

इस दुनियां में  बहुत कलमगार आये ,
किसी ने कलम उठाया लैला का ज़िक्र किया ,
किसी ने कलम उठाया मजनूं का ज़िक्र किया ,
किसी ने क़लम उठाया शीरी का ज़िक्र किया ,
किसी ने क़लम उठाया फरहाद का ज़िक्र किया ,
लेकिन  आलाहज़रत ने जब , जब क़लम उठाया किसी  दुनियादार की नहीं बल्कि  मदीने के ताज़दार के बारे  में ज़िक्र किया .
आप  देखो  तो सही क्या खूब फ़रमाते हैं आलाहज़रत :
👇🏽
उन्हें जाना , उन्हें माना , न रखा गैर से काम , लिल्लाह हिल हम्द मैं दुनियां से मुसलमान गया .

क़लम उठा आलाहज़रत का तो नबी की पेशानी के बारे  में लिखा :

जिस के माथे शफ़ाअत का सेहरा रहा, उस ज़बीने सआदत पे लाखों सलाम .

क़लम उठा आलाहज़रत का तो नबी के गोशे मुबारक के बारे में लिखा :

दूरो  नज़दीक के सुनने वाले वो कान , काने लाले करामत पे लाखों सलाम.

क़लम उठा आलाहज़रत का लवे  मुस्तफ़ा के बारे में लिखा :

पतली, पतली  गुले क़ुदस  की पत्तियां ,  उन  लवों की नज़ाक़त पे  लाखों सलाम .

जब क़लम उठा आलाहज़रत का आमदे हुज़ूर के बारे में लिखा :
जिस सुहानी  घड़ी  चमका तैबा का चाँद , उस दिल अफरोज साअत पे लाखों सलाम.

क़लम उठा आलाहज़रत का  शहरे रसूल के बारे में लिखा :

हरम की ज़मीं और क़दम रख के चलना , अरे  सर का मौक़ा है ओ जाने बाले .

क़लम उठा आलाहज़रत का नबी की हयात के बारे में लिखा :
तू ज़िंदा है वल्लाह , तू ज़िंदा है वल्लाह मेरे  चश्मे आलम से छुप जाने बाले.

क़लम उठा आलाहज़रत का तो  अताये रसूल के बारे में लिखा :

मेरे करीम से गर , क़तरा किसी ने माँगा, दरिया वहा दिए हैं  दुरबे  बहा दिए हैं..

क़लम उठा आलाहज़रत का तो शफ़ाअत ए रसूल के बारे में लिखा :

सबने  शफे  महशर में ललकार दिया हमको , अये  बेकसों के आक़ा अब तेरी दुहाई है .

और जब क़लम उठा आलाहज़रत का तो गुम्बदे खज़रा के बारे में लिखा :

हाजियो आओ  शहंशाह का रौज़ा देखो,  क़ाबा तो देख चुके  , काबे का  क़ाबा देखो ....

👉🏽इसलिए हम  अपने इमाम की बारगाह में खिराजे अक़ीदत पेश करते हैं --

🌹*डाल दी क़ल्ब में अज़मते मुस्तफ़ा*🌹
🌿*सैय्यदी आलाहज़रत पे लाखों सलाम*🌿

🌹*जीनकी हर हर अदा सुन्नते मुस्तफा*🌹
     🌿*वो रजा आला हजरत बरेली के शाह*🌿

       🌹*मुझसे खिदमत के कुदसी कहे हारजा*🌹
       🌿*मुस्तफा जाने रहमत पे लाखो सलाम*🌿

========================================================================*_अल्लाह हमे अपने महबूब हुज़ूर सल्लल्लाहों अलैहि वसल्लम के सदके इसी तरह इल्मे दीन सीखने समझने औरअमल करने की तौफ़िक अता करे।_*                /आमीन/


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