*सफ के मसायल*
*मसला :* सफ़े सीधी हों और लोग मिलकर खड़े हों बीच में जगह न रहे और
सब के मोड़े बराबर हों और इमाम आगे बीच में हो।
*मसला :* पहली सफ में और इमाम के करीब खड़ा होना अफ़ज़ल है लेकिन
जनाजा में पिछली सफ़ में होना अफजल है।
*मसला :* मुक्तदी को तकबीर तहरीमा इमाम के साथ या बाद कहना चाहिये।
कानूने शरीअत
यहां तक कि अगर लफ्ज़ अल्लाह तो इमाम के साथ कहा और अकबर इमाम
से पहले तो नमाज़ न होगी।
*मसला:* मुक्तदी को किसी नमाज में किराअत जायज नहीं न अलहम्दो
न सूर ख़्वाह इमाम ज़ोर से पढ़े या आहिस्ता इमाम का पढ़ना मुक्तदी के लिये
काफ़ी है।
मसला : सफ़ों की तरतीब यूं होना चाहिये कि अगली सर्कों में मर्द हों और
उसके बाद लड़के।
*इमाम कौन हो सकता है?*
*मसला :* इमाम को १. मुसलमान। २. मर्द। ३. आकिल ४. बालिग।
५. नमाज़ के मसायल का जानने वाला ६. गैर माजूर होना चाहिये कि अगर
इमाम में इन छः बातों में कोई बात न पाई गई तो उसके पीछे नमाज़ न होगी।
*मसला :* माजूर अपने मिरल माजूर का या अपने से जायद उज्र वाले का
इमाम हो सकता है और अगर इमाम व मुक्तदी दोनों को दो किस्म के उज्र
हों मसलन एक को रियाह का मर्ज है और दूसरे को कतरे का तो एक दूसरे
की इमामत नहीं कर सकता।