125. जुमआ का बयान

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                                           जुमआ का बयान


*(1)* हजरते सलमान रजियल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि
सरकारे अकदस सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो
शख्स जुमआ के दिन नहाए और जिस कदर हो सके पाकी व सफाई
करे और तेल लगाए या खुशबू मले जो घर में मयस्सर आए-फिर
घर से नमाज के लिए निकले और दो आदमियों के दरमियान
(अपने बैठने या आगे गुजरने के लिए) जगह न बनाए फिर
नमाज पढ़े जो मुकर्रर कर दी गई है फिर जब इमाम खुत्बा पढ़े।
तो चुपचाप बैठा रहे तो उस के वह सब गुनाह जो एक जुमआ से
दूसरे जुमआ तक उस ने किए हैं मुआफ कर दिए जायेंगे *(बुखारी)*

*(2)* हजरते अबू हुरा रजियल्लाह तआला अनल ने कहा कि
रसूले करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फरमाया कि जुमआ के
दिन फरिश्ते मस्जिद के दरवाजे पर खड़े होकर मस्जिद में आने
वालों की हाजिरी लिखते हैं जो लोग पहले आते हैं उन को पहले
और जो बाद में आते हैं उन को बाद में और जो शख्स जुमआ की
नमाज पहले गया उस की मिसाल उस शख्स की तरह
क है जिस
ने मक्का शरीफ में कुर्बानी के लिए ऊंट भेजा, फिर जो दूसरे
नम्बर पर आया उस की मिसाल उस शख्स की सी है जिस ने गाय।
भेजी फिर जो उस के बाद आए वह उस शख्स की तरह है जिस ने
दुम्बा भेजा फिर जो उस के बाद आए वह उस शख्स की तरह है।
जिसने मुर्गी भेजी और जो उस के बाद आए वह उस शख्स की तरह
है जिसने अडा भेजा फिर जब इमाम खुत्बा के लिए उठता है तो
फरिश्ते अपने कागज लपेट लेते हैं और खत्बा सुनने में लग जाते हैं।
*(बुखारी, मुस्लिम)*
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