“अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ीहिल दावती-त-ताम्मति वस्सलातिल कायिमति आती मुहम्मद नील वसिलता वल फ़ज़ीलता अब’असहू मक़ामम महमूद निल्ल्जी अ’अत्तहू”
यह दुआ अज़ान होने के बाद पढ़े. इसका मतलब है, “ऐ अल्लाह! ऐ इस पूरी दावत और खड़े होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (स.) को ख़ास नजदीकी और ख़ास फजीलत दे और उन्हें उस मकामे महमूद पर पहुंचा दे जिसका तूने उनसे वादा किया है, यकीनन तू वादा खिलाफी नहीं करता.” [ अज़ान के बाद की दुआ ]
अज़ान और इकामत के बिच के वक्त में दुआ करना बहेतर मना गया है। क्यूंकि अहादीस से मालूम होता है के अज़ान और इक़ामत के दरमियान दुआ रद्द नहीं होती [हदीस: मुसनदे अहमद 13357]