सुन्नत से साबित नमाज़ की रकाअते।
सुन्नतें मौअक्कदा और फ़र्ज़ रकात
नमाज़ की रकाअत
1. नमाज़े फ़ज्र : दो सुन्नतें, दो फ़र्ज़। (नमाज़े फज़्र चार रकअतें हुईं)
2. नमाज़े ज़ोहर : चार सुन्नतें, चार फ़र्ज़, दो सुन्नतें। (नमाज़े ज़ोहर दस रकअतें हुई)
3. नमाज़े अस्र : चार फ़र्ज़।
4. नमाज़े मगरिब : तीन फ़र्ज़ दो सुन्नतें। (नमाजे मगरिब पांच रकअतें हुई)
5. नमाज़े इशा : चार फ़र्ज़ और दो सुन्नतें। (नमाज़े इशा छः रकअतें)
6. नमाज़े वित्र : नमाज़े वित्र दरअस्ल रात की नमाज़ है, जो तहज्जुद के साथ मिलाकर पढ़ी जाती है। जो लोग रात को उठने के आदी न हों वह वित्र भी नमाज़े इशा के साथ ही पढ़ सकते हैं।
रसूलुल्लाह सल्ल० ने फ़रमाया :
“जिसे ख़तरा हो कि रात के आखिरी हिस्से में नहीं उठ सकेगा वह अव्वल शब ही वित्र पढ़ ले।” मुस्लिम, हदीस 755
वजाहत: कोई हज़रात यह ख्याल न करें कि हमने नमाज़ों की रकअतों को कम कर दिया है यानी फ़राइज़ और सुन्नतें मौअक्कदा गिन ली हैं और नफ़्ल छोड़ दिए हैं। मुसलमान भाइयों को मालूम होना चाहिए कि नवाफ़िल अपनी ख़ुशी और मर्जी की इबादत है।
रसूलुल्लाह सल्ल० ने किसी को पढ़ने के लिए मजबूर नहीं किया, इसलिए हमें कोई हक़ नहीं है कि हम अपने नफ़्लों को फर्ज़ो का ज़रूरी और लाज़मी हिस्सा बना डालें। फर्ज़ो के साथ आपकी नफ़्ल इबादत यानी सुन्नतें आ गई हैं जिनसे नमाज़ पूरी और मुकम्मल हो गई है।