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अहकामे मस्जिद का बयान-
//आमीन//
अहकामे मस्जिद का बयान-
📝__जब मस्जिद मे दाखिल हो तो दुरूद शरीफ पढ कर अल्लाहुम मफ तहली अबवा बी क रहमतिक पढे और जब मस्जिद से निकले तो दुरूद शरीफ के बाद अल्लाहुम्मा इनी अस अ लू क मिन फदलीह पढे
⭕️👇🏻---मसला-----👇🏻⭕️
📝__मस्जिद की छत का भी मस्जिद ही की तरह अदबो एहतिराम लाजिम है बिला जरूरत मस्जिद की छत पर चढना मकरूह है
📝__बच्चे को और पागल को जिन से गंन्दगी का गूमान हो मस्जिद मे ले जाना हराम है और अगर नजासत का डर न हो तो मकरूह है
📝__मस्जिद का कुडा झाड कर ऐसी जगह डाले जहॉ बे अदबी न हो
📝__नापाक कपडा पहन कर या कोई भी नापाक चीज ले कर मस्जिद मे जाना मना है यूही नापाक तेल मस्जिद मे जलाना या नापाक गारा मस्जिद मे लगाना मना है
📝__वुजु के बाद बदन का पानी मस्जिद मे झाडना मस्जिद मे थूकना या नाक साफ करना नाजाईज है
📝मस्जिद मे इन आदाब का ख्याल रखे
जब मस्जिद मे दाखिल हो तो सलाम करे ब शर्त कि जो लोग वहॉ मौजूद हो जिक्रो दर्स मे मश्गुल न हो और अगर नमाज मे हो या मस्जिद मे कोई न हो तो यू कहे
🔻अस्सलामु अलैना व अला इबा दिल्लाही सालेहीन
वकत मकरूह न हो तो दो रकअत तहिय्यूल मस्दिद अदा करे
❌खरीदो फरोख्त न करे
❌नंगी तलवार मस्जिद मे न जाए
❌गुमी हुई चीज मस्जिद मे न ढूढे
❌जिक्र के सिवा आवॉज बुलन्द न करे
❌दुनिया की बाते न करे
❌लोगो की गर्दन न फलागे
❌जगह के मुतअल्लिक किसी से झगडा न करे बल्कि जहॉ खाली जगह पाए वहॉ नमाज पढ ले और इस तरह न बैठे कि जगह मे दुसरो के लिए तंगी हो
❌किसी नमाजी के आगे से न गुजरे
❌मस्जिद मे थुक खँकार या कोई गंदी या घिनावनी चीज न डाले
उंगलियो न चटखाए
नजासत और बच्चो और पागलो से मस्जिद को बचाए
जिक्र इलाही की कसरत करे
📝__कच्चा लहसून प्याज या मूली खा कर जब तक मुंह मे बदबू बाकी रहे मस्जिद मे जाना जाईज नही यही हुक्म हर उस चीज का है जिस मे बदबू है कि इस से मस्जिद को बचाया जाए और इस को बिगैर दुर किए हुए मस्जिद मे न जाए
📝__मस्जिद की सफाई के लिए चमगादडो और कबूतरो और चिडियो के धोसलो को निकालने मे कोई हर्ज नही है
📚-- हवाला दुर्रे मुख्तार बाब मस्जिद सलात व मा करह फिहा जिल्द (2)----सफा---(518+525)
📝__अपने मुहल्ले की मस्जिद मे नमाज पढना अगर्चे जमाअत कम हो जामा मस्जिद से अफजल है बल्कि अगर मुहल्ले की मस्जिद मे जमाअत न हुई तो तन्हा जाए और अजान व इकामत कह कर अकेले नमाज पढे यह जामा मस्जिद की जमाअत से अफजल है
📚--हवाला सगीर अफजल फि अहकामे मस्जिद सफा (302)
🙌🏼अल्लाह तआला हम सब को इन बातो पर अमल करने और मस्जिद की ताजिम करने कि तौफिक बख्से ------आमिन
👉🏻 इल्मे दीन हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज है
⭕️👇🏻---मसला-----👇🏻⭕️
📝__मस्जिद की छत का भी मस्जिद ही की तरह अदबो एहतिराम लाजिम है बिला जरूरत मस्जिद की छत पर चढना मकरूह है
📝__बच्चे को और पागल को जिन से गंन्दगी का गूमान हो मस्जिद मे ले जाना हराम है और अगर नजासत का डर न हो तो मकरूह है
📝__मस्जिद का कुडा झाड कर ऐसी जगह डाले जहॉ बे अदबी न हो
📝__नापाक कपडा पहन कर या कोई भी नापाक चीज ले कर मस्जिद मे जाना मना है यूही नापाक तेल मस्जिद मे जलाना या नापाक गारा मस्जिद मे लगाना मना है
📝__वुजु के बाद बदन का पानी मस्जिद मे झाडना मस्जिद मे थूकना या नाक साफ करना नाजाईज है
📝मस्जिद मे इन आदाब का ख्याल रखे
जब मस्जिद मे दाखिल हो तो सलाम करे ब शर्त कि जो लोग वहॉ मौजूद हो जिक्रो दर्स मे मश्गुल न हो और अगर नमाज मे हो या मस्जिद मे कोई न हो तो यू कहे
🔻अस्सलामु अलैना व अला इबा दिल्लाही सालेहीन
वकत मकरूह न हो तो दो रकअत तहिय्यूल मस्दिद अदा करे
❌खरीदो फरोख्त न करे
❌नंगी तलवार मस्जिद मे न जाए
❌गुमी हुई चीज मस्जिद मे न ढूढे
❌जिक्र के सिवा आवॉज बुलन्द न करे
❌दुनिया की बाते न करे
❌लोगो की गर्दन न फलागे
❌जगह के मुतअल्लिक किसी से झगडा न करे बल्कि जहॉ खाली जगह पाए वहॉ नमाज पढ ले और इस तरह न बैठे कि जगह मे दुसरो के लिए तंगी हो
❌किसी नमाजी के आगे से न गुजरे
❌मस्जिद मे थुक खँकार या कोई गंदी या घिनावनी चीज न डाले
उंगलियो न चटखाए
नजासत और बच्चो और पागलो से मस्जिद को बचाए
जिक्र इलाही की कसरत करे
📝__कच्चा लहसून प्याज या मूली खा कर जब तक मुंह मे बदबू बाकी रहे मस्जिद मे जाना जाईज नही यही हुक्म हर उस चीज का है जिस मे बदबू है कि इस से मस्जिद को बचाया जाए और इस को बिगैर दुर किए हुए मस्जिद मे न जाए
📝__मस्जिद की सफाई के लिए चमगादडो और कबूतरो और चिडियो के धोसलो को निकालने मे कोई हर्ज नही है
📚-- हवाला दुर्रे मुख्तार बाब मस्जिद सलात व मा करह फिहा जिल्द (2)----सफा---(518+525)
📝__अपने मुहल्ले की मस्जिद मे नमाज पढना अगर्चे जमाअत कम हो जामा मस्जिद से अफजल है बल्कि अगर मुहल्ले की मस्जिद मे जमाअत न हुई तो तन्हा जाए और अजान व इकामत कह कर अकेले नमाज पढे यह जामा मस्जिद की जमाअत से अफजल है
📚--हवाला सगीर अफजल फि अहकामे मस्जिद सफा (302)
🙌🏼अल्लाह तआला हम सब को इन बातो पर अमल करने और मस्जिद की ताजिम करने कि तौफिक बख्से ------आमिन
👉🏻 इल्मे दीन हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज है
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*_अल्लाह हमे अपने महबूब हुज़ूर सल्लल्लाहों अलैहि वसल्लम। के सदके इसी तरह इल्मे दीन सीखने समझने और अमल करने की तौफ़िक अता करे।_*
//आमीन//